अगर हम कुछ देवों की शक्तियों को मिला कर देखें तो निस्संदेह, त्रिदेव से शक्तिशाली कोई भी और देवता नहीं है। त्रिदेव कहते हैं ब्रम्हा, विष्णु और महेश यानी भगवान शिव को जिनमें से ब्रम्हा जी हैं संसार के निर्माणकर्ता यानी इंजीनियर, विष्णु भगवान हैं पालनकर्ता यानी एडमिनिस्ट्रेटर (प्रशासक) और भगवान शिव हैं विध्वंसक यानी डिस्ट्रॉयर (संसार को भस्म करने वाले)।
परंतु कौन सा एक देवता सभी देवों में श्रेष्ठ है या किसकी पूजा सबसे ज़्यादा होती है, इस बारे में अलग-अलग लोगों के अलग-अलग मत हैं किन्तु भगवान शिव के भक्तों की संख्या बाकी के भगवानों से अधिक मालूम पड़ती है। आइए, अब तक उपलब्ध साक्ष्यों के आधार पर समझने की कोशिश करें कि भगवान शिव को देवों के देव यानी देवाधिदेव क्यों माना जाता है और संसार में सबसे अधिक उनकी पूजा क्यों होती है।
प्राचीन काल में भी थे भगवान शिव के सबसे अधिक भक्त
इतिहासकार बताते हैं कि वैदिक काल में और लगभग सातवीं शताब्दी के आस-पास तक भी, शैव भक्तों की बहुतायत थी। ऐसा प्राचीन काल के अधिकतर मंदिरों और गुफाओं में मिले भित्ति चित्रों से पता चलता है। इनमें सबसे प्रमुख राष्ट्रकूट राजाओं का योगदान रहा जिन्होंने भगवान शिव और उनकी लीलाओं को दर्शाते हुए घने जंगलों के बीच अजंता -ऐलोरा की गुफाएँ बनवायीं।
उनके अलावा आदि शंकराचार्य जिन्होंने हमारे देश के विभिन्न स्थानों पर 12 ज्योतिर्लिंगों का निर्माण कराया जिनका बाद में कई राजाओं ने जीर्णोद्धार करवाया। सभी पुराणों सहित बहुत से प्राचीनतम शास्त्रों में भी भगवान शिव की महिमा को ही सबसे महान बताया गया है। रामायण में वर्णित है कि भगवान विष्णु के अवतार श्री राम ने भी लंका पर आक्रमण से ठीक पहले समुद्र के किनारे पहले एक शिवलिंग की स्थापना करके भगवान शिव की पूजा की थी।
अलग-अलग सर्वे के आधार पर भी भगवान शिव ही हैं सबसे अधिक पूजे जाने वाले भगवान
हाल ही में प्यू रिसर्च सेंटर द्वारा कराए गए सर्वे में भी आश्चर्यजनक रूप से 44% लोगों का मानना था कि भगवान शिव की वो हर रोज़ पूजा करते हैं और उनके बाद सबसे अधिक पूजे जाने वाले देवता भगवान विष्णु को माना गया। पिछले साल कराए गए इस सर्वे में वैसे देखा जाए तो हमारे देश के कुछ राज्यों में अलग-अलग देवताओं को भगवान शिव से भी अधिक माना और पूजा जाता है।
जैसे भारतवर्ष के पश्चिम क्षेत्र में भगवान शंकर के पुत्र गणेश जी सबसे विशेष देवता माने जाते हैं, पूर्वोत्तर भारत के 46 प्रतिशत हिंदू भगवान विष्णु के अवतारों भगवान राम और श्री कृष्ण की अधिक भक्ति करते हैं, वहीँ दक्षिण भारत के बहुत से लोग भगवान शिव के भक्त तो हैं परंतु वो बहुत से अलग-अलग ऐसे देवताओं को भी मानते हैं जिनका नाम भारत के पूर्वोत्तर और पश्चिम के लोगों ने नहीं सुना होगा।
इन सबको मिला कर जब पूरे भारत के सर्वे को देखते हैं तो भगवान शिव का ही पलड़ा भारी दिखता है। चर्चा की दृष्टि से आपकी आसानी के लिए हमने आपको बताया कि देवाधिदेव भगवान शंकर के भक्त दुनिया में सबसे अधिक हैं परंतु जैसा कि भगवद गीता के अध्याय में बताया गया है कि ब्रम्हा, विष्णु और महेश अलग नहीं हैं इन तीनों के सम्मिलित रूप को परमेश्वर यानी साक्षात् ब्रम्ह माना गया है।
ये तीनों शक्तियां अलग नहीं हैं बल्कि एक साथ पूरे ब्रह्मांड को संचालित करती रहती हैं और एक दूसरे को संतुलित करती रहती हैं। देवों में कौन श्रेष्ठ है, किसकी पूजा हो सकती है, ये विचार हमारे आपके मन में आ सकता है परंतु इन महान शक्तियों के बीच ऐसा नहीं होता और इनकी लीलाओं को समझना हम साधारण मनुष्यों की इंद्रियों के परे होता है।