विष्णु भगवान की फोटो किस दिशा में लगानी चाहिए
विष्णु भगवान संसार के पालनहार हैं जिन्हें आप ब्रम्हांड को चलाने वाली शक्ति के रूप में भी जानते हैं। उनकी लीलायें अपरम्पार हैं, कभी राम बन के तो कभी श्याम बन के वो पूरे जगत के संताप हर लेते हैं। …
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विष्णु भगवान संसार के पालनहार हैं जिन्हें आप ब्रम्हांड को चलाने वाली शक्ति के रूप में भी जानते हैं। उनकी लीलायें अपरम्पार हैं, कभी राम बन के तो कभी श्याम बन के वो पूरे जगत के संताप हर लेते हैं। …
सूतक का समय एक तरह का अशुद्धि का समय होता है जब परिवार के लोगों को कई प्रकार से संयम रखना होता है और किसी से भी बाहरी व्यक्ति से मिलने-जुलने की मनाही होती है। यह अशुद्धि का समय बच्चे …
हिंदू शास्त्रों के अनुसार जब भी किसी घर में जन्म या मृत्यु होती है तो उसके कारण लगने वाले अशुद्धि या दोष को सूतक कहा जाता है। कहीं-कहीं जन्म के समय होने वाली इस अशुद्धि को सूतक और मृत्यु के …
अक्सर आपने किसी के घर में बच्चा पैदा होने पर या किसी के घर में मृत्यु होने पर उस के घर नहीं जाना है या ग्रहण काल से पहले सुना होगा कि पूजा-पाठ नहीं करनी है और मंदिर के पट …
हिन्दू धर्म के प्राचीन शास्त्रों में घर में बच्चे के जन्म के बाद लगने वाले सूतक और मृत्यु के बाद लगने वाले पातक सूतक, दोनों में ही पूजा-पाठ करने और व्रत शुरू करने को वर्जित बताया है। आइये समझें, इस …
भगवान तो भाव के भूखे होते हैं, इसलिए सीधी-सच्ची बात ये है कि जो भी भक्ति भाव, पूजा इत्यादि आप कहीं भी बैठ कर करते हैं वह सब भगवान को स्वीकार्य होता है परंतु बात किसी भी चीज़ को सबसे …
आप सब ने शिव जी के मंदिर में नंदी महाराज को विराजित देखा ही होगा। ऐसा माना जाता है कि यदि आप भगवान शंकर से अपनी मनोकामना कहना चाहते हैं तो पहले आपको नंदी महाराज को प्रसन्न करना होगा। ऐसी …
क्या आप भी उन दुकानदारों में से हैं जो पूरी श्रद्धा के साथ दूकान में कदम रखते ही सबसे पहले देवी-देवताओं को नमन-पूजन कर के शुभ वातावरण रखने में विश्वास करते हैं? अगर ऐसा है तो आज हम आपके लिए …
हर व्यक्ति अपने घर में सकारात्मक ऊर्जा की कामना करता है और इसीलिए वह अपना घर बनवाते वक्त पूजा का स्थान जरूर ही निश्चित करता है। भारत के प्राचीन वास्तु शास्त्र के ग्रंथों में वैज्ञानिक विधि से पूजा कमरे सहित …
ज्योतिर्लिंग शब्द का अर्थ है प्रकाश स्तंभ। पुराणों के अनुसार, भगवान एक ज्योति के रूप में पृथ्वी पर प्रकट हुए थे। पृथ्वी पर 12 अलग-अलग जगहों पर दिव्य ज्योति के रूप में परमपिता परमेश्वर स्वयं विराजित हुए थे और इन्हीं …