Google कैसे अस्तित्व में आया
Google शुरू हुआ था कैलिफ़ोर्निया की स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी में रिसर्च कर रहे नवयुवकों लैरी पेज और सर्गेई ब्रिन के द्वारा ‘Backrub’ नाम के एक सर्च इंजन बनाने से, जिसका नाम बाद में बदल कर Google कर दिया गया। तो क्या कोई दिलचस्प किस्सा जुड़ा है इस कंपनी के शुरू होने से।
क्यों नहीं, किस्सा तो ज़रूर होगा, आखिर इतिहास की सबसे प्रसिद्ध और बड़ी कंपनियों में से एक गूगल की बात जो हो रही है, तो इसका भी कोई किस्सा तो ज़रूर होगा। तो चलिए, जानते हैं कि इस कंपनी के शुरू होने की कहानी क्या है।
जानिये google शुरू करने वाले लैरी पेज और सर्गेई ब्रिन के बारे में।
लैरी पेज के बचपन से, जिनके पिता ने भी कंप्यूटर साइंस में पीएचडी की थी और मिशिगन स्टेट यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर थे। बीबीसी ने उनको कंप्यूटर साइंस और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में अग्रणी बताया और माँ भी कंप्यूटर प्रोग्रामिंग की इंस्ट्रक्टर थीं। तो घर में ही उनको माँ-बाप के रूप में कंप्यूटर एक्सपर्ट मिल गए शिक्षा के लिए।
वहीँ सर्गेई ब्रिन जब 6 साल के थे तो उनके परिवार ने रूस से अमेरिका में प्रवास किया। उनके पिता यूनिवर्सिटी ऑफ़ मैरीलैंड में मैथमेटिक्स के प्रोफेसर थे और माँ नासा के स्पेस सेंटर में एक रिसर्चर थीं। तो लैरी पेज की तरह उनके भी घर में शुरू से गंभीर अध्ययन का माहौल था।
Google के शुरू होने की कहानी
तो कहानी शुरू होती है 1995 से जब लैरी पेज स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी में रिसर्च करने नए नए आये थे और सर्गेई ब्रिन को जो वहाँ कुछ दिन पहले आए थे, लैरी पेज को यूनिवर्सिटी घुमाने और सबसे परिचय कराने का जिम्मा दिया गया। पहले-पहल तो उन दोनों के बीच हर बात में असहमति थी पर जल्दी ही उन के बीच गहरी मित्रता हो गयी।
लैरी पेज एक पेजरैंक नाम के अल्गोरिदम पर काम कर रहे थे, जिसमें सर्गेई ब्रिन भी जुड़ गए और दोनों ने मिलकर उस पर एक रिसर्च पेपर निकाला। इस सर्च इंजन के साथ जो कंपनी उन दोनों ने लॉन्च करी उसका नाम रखा ‘बैकरब’ और जैसा की तय हुआ था, उसके सीईओ बने लैरी पेज और प्रेसिडेंट बने सर्गेई ब्रिन।
लैरी पेज ने इस कंपनी का नाम बदल कर गूगल कर दिया, जो कि गूगोल (10 पर पावर 100) का अपभ्रंश था। ये शक्तिशाली सर्च इंजन जल्दी ही काफी लोकप्रिय हुआ, परन्तु कंपनी का विस्तार करने के लिए उनको बहुत से फंड्स और निवेश करने वाले चाहिए थे। उनको अपने पहले निवेशक मिले सन माइक्रोसिस्टम्स, जिससे गूगल आधिकारिक रूप से लिस्टेड कंपनी बन गयी।
Google की सबसे खास बात यह है कि वो अपने उपयोगकर्ताओं यानि यूज़र्स की आवश्यकताओं और सुविधाओं को ध्यान में रखता है। लोगों को जो चाहिए वो सब कुछ उन्हें आसानी से Google पर मिल जाता है, फिर वो चाहे एक-दूसरे को ईमेल भेजना हो, वेबसाइट ओपन करने के लिए ब्राउज़र हो, किसी चीज़ के बारे में पता करना यानि सर्च इंजन पर देखना हो, कई लोगों को मिल कर वीडियो कॉल करना हो, ऑनलाइन डॉक्यूमेंट सेव करना या बड़ी फाइल भेजना हो जो ईमेल से संभव नहीं है, इत्यादि।
इन सब सर्विसेज के लिए Google ने अपनी वेबसाइट google.com पर लिंक दिए हैं, जैसे gmail, ब्राउज़र के लिए google chrome, वीडियो कॉलिंग और कॉन्फ़्रेंसिंग के लिए google meet, अधिक स्पेस और बड़ी फाइल भेजने के लिए क्लाउड स्टोरेज यानि google drive, इत्यादि।
चूँकि पूरी दुनिया के लोग बड़ी संख्या में इन सर्विसेज का इस्तेमाल करते हैं, इसलिए google को विज्ञापनदाताओं और निवेशकों से बहुत भारी कमाई होती है। Google पैरेंट कंपनी Alphabet का हिस्सा है। Google ने अगस्त, 2015 में भारतीय मूल के सुन्दर पिचाई को नया CEO बनाया, जिन्होंने 2004 में Google ज्वाइन किया था।
google chrome सहित बहुत सारी सर्विसेज़ के सफल संचालन में सुन्दर पिचाई की प्रमुख भूमिका रही। उनकी योग्यता और सफलताओं को देखते हुए अक्टूबर, 2015 में उन्हें पैरेंट कंपनी Alphabet का भी CEO बना दिया गया।