अंक बहुत ही शक्तिशाली होते हैं और यह बात अध्ययनों से पता चलती है की अंक हम सभी के जीवन में बहुत गहरा प्रभाव रखते हैं। अंक ज्योतिष से आप अपने जीवन और व्यक्तित्व के बारे में बहुत कुछ जान सकते हैं। कमाल की बात ये है कि अंकशास्त्र का इस्तेमाल करके अंकों और शब्दों के वाइब्रेशन्स जान कर लोग अपने भाग्य को भी जान सकते हैं।
अंक ज्योतिष के अनुसार किसी भी व्यक्ति के जीवन को 3 तरह के अंक प्रभावित करते हैं जो होते हैं उनके मूलांक, भाग्यांक और नामांक। इन्हीं महत्वपूर्ण अंकों को लो-शू ग्रिड में भरने से बनता है अंक ज्योतिष चार्ट। इसलिए आइये इन मूलांक, भाग्यांक, नामांक और लो-शू ग्रिड के बारे में विस्तार से समझते हैं।
क्या होते हैं मूलांक और भाग्यांक ?
अब इसको आगे जानने की कोशिश करते हैं। मूलांक हमारी जन्म की तारीख का जोड़ होता है। मान लीजिये कि किसी व्यक्ति का जन्म किसी भी महीने की 3 तारीख को हुआ है तो उसका मूलांक 3 होगा। वहीँ अगर किसी व्यक्ति का जन्म किसी भी महीने की 22 तारीख को हुआ है, तो उस का मूलांक 2 + 2 यानि 4 कहा जाएगा।
मूलांक 8 वाले, प्रेम में ये प्रायः असफल रहते हैं परन्तु इनका वैवाहिक जीवन अच्छा रहता है।
आइये अब हम समझते हैं कि भाग्यांक कैसे पता करते हैं। मान लीजिए किसी व्यक्ति का जन्म 12 फरवरी 1975 को हुआ है तो उसका भाग्यांक बनेगा इन सारे अंकों को जोड़ने से यानि 1 + 2 + 0 + 2 + 1 + 9 + 7 + 5 और इस से हमको जोड़ मिलता है 27 और अब इस जोड़ के दोनों अंकों को भी आपस में जोड़ने पर हमको मिल जाता है एकल अंक 9, जो उस व्यक्ति का भाग्यांक है।
इस तरह आप कह सकते हैं कि उस व्यक्ति का मूलांक 3 और भाग्यांक 9 है। इसका मतलब हम कह सकते हैं कि किसी भी व्यक्ति का मूलांक और भाग्यांक उसके जन्म के साथ तय हो जाता है और फिर इन्हें ज़िंदगी में कभी बदला नहीं जा सकता।
क्या होता है लो–शू ग्रिड?
इसमें जन्म की तारीख को लो-शू ग्रिड में भरा जाता है, जो हमें चीन के अंकशास्त्र से मिलता है। एक प्रसिद्ध चीनी लोक-शास्त्र के अनुसार जब फूक्सी नाम के एक चीनी संत लोउ नदी के तट पर तप कर रहे थे तो एक कछुआ नदी से निकला।
उसकी पीठ पर एक 3 x 3 का एक वर्ग [जिसमें 9 छोटे वर्ग थे] अंकित था और उसके अंदर हर वर्ग में कुछ बिंदु थे जिन्हें कैसे भी जोड़ा जाए तो 15 आता था और यहीं से उत्पन्न हुआ लो-शू ग्रिड जिसमें हर वर्ग में 1 से 9 के बीच का कोई अंक होता है और प्रत्येक अंक का प्रयोग केवल एक बार होता है।
मूलांक 7 के व्यक्ति हर समय कुछ न कुछ सोचते रहते हैं, इसलिए ये लोग बहुत रिज़र्व्ड रहते हैं
यहाँ पर प्रत्येक अंक किसी न किसी ग्रह का प्रतीक माना जाता है। हर वर्ग में प्रत्येक संख्या का अपना निश्चित स्थान होता है। इसको आप ऊपर दिए गए चित्र से बेहतर समझ सकते हैं। इस लो-शू ग्रिड को भरने की प्रक्रिया लम्बी और जटिल होती है। इसे केवल एक लेख के माध्यम से पूरा नहीं समझाया जा सकता। इसको सीखने के लिए इसका पूरा कोर्स करना होता है।
कैसे मदद मिलती है इस अंक ज्योतिष की चार्ट से?
आप अपने मूलांक, भाग्यांक और नामांक को लो-शू ग्रिड में भरेंगे तो उसके अलग-अलग संयोजनों से अलग-अलग प्रयोजन निकाल सकते हैं। इस लो-शू ग्रिड की मदद से आप अपनी कुंडली की तरह किसी व्यक्ति के व्यक्तित्व, उपयुक्त नौकरी और भविष्य के बारे में जान सकते हैं। जो नंबर आपके लो-शू ग्रिड में, अपने स्थान पर नहीं हैं उनसे ये पता लग सकता है कि आप अपने जीवन में अमुक-अमुक समस्याओं का सामना क्यों कर रहे हैं।
देखा आपने, यह अंक ज्योतिष चार्ट कितना उपयोगी हो सकता है। कुंडली की ही तरह यह चार्ट भी आपको अपने और आपके अपनों के बेहतर भविष्य की ओर बढ़ने और समस्याओं को गहरायी से समझ कर उनका हल निकालने में मदद कर सकती है।
कौन सा अंक किस ग्रह का है
हर साल 21 मार्च से 23 मार्च के बीच वास्तविक सौर वर्ष शुरू होता है । इस राशि चक्र की प्रत्येक राशि मे, 30 डिग्री पर से से गुजरता है सूर्य । इस प्रकार से सम्पूर्ण राशि-चक्र पूरा करने मे 3651/4 दिन लगता है सूर्य को और इसी के आधार पर अधिकांश लोग 1 वर्ष मे 365 दिन मानते हैं ।
पृथ्वी अपनी धुरी पर 24 घंटे मे एक चक्र पूर्ण कर लेती है और राशि-चक्र की बारह राशियाँ, इन चौबीस घंटों मे, उसके हर एक भाग से गुजरती हैं । अब हम आपको बताते हैं कि कौन से ग्रह और राशि का कौन सा अंक है ।
मंगल ग्रह का अंक है 9
राशि-चक्र की पहली राशि है मेष राशि । मेष राशि की समयावधि 21 मार्च से 20 अप्रैल तक होती है । इसका स्वामी ग्रह है मंगल । मेष राशि और मंगल ग्रह का अंक है 9 । इस समयावधि (21 मार्च से 29 अप्रैल) मे मंगल का सकारात्मक प्रभाव रहता है ।
अंक 9 का दूसरा कार्यकाल 21 अकतूबर से 20 नवंबर तक होता है । इस समयावधि की राशि वृश्चिक होती है लेकिन इस समयावधि मे मंगल का प्रभाव नकारात्मक होता है । तो इस प्रकार से मेष और वृश्चिक राशि के साथ-साथ मंगल ग्रह का अंक 9 होता है ।
शुक्र ग्रह का अंक है 6
राशि-चक्र की दूसरी राशि है वृष । 21 अप्रैल से 20 मई तक की समय-अवधि, वृष राशि की होती है । इसका स्वामी ग्रह शुक्र होता है । वृष राशि और शुक्र ग्रह का अंक 6 होता है । 21 अप्रैल से 20 मई तक शुक्र का प्रभाव सकारात्मक होता है ।
लेकिन शुक्र ग्रह की दूसरी समयावधि 21 सितंबर से 20 अकतूबर तक मानी जाती है और इस दौरान इसके स्वामी ग्रह शुक्र का प्रभाव नकारात्मक होता है । इस समयावधि की राशि तुला होती है । तो इस प्रकार से वृष और तुला राशि के साथ-साथ शुक्र ग्रह का अंक 6 होता है ।
बुध ग्रह का अंक है 5
21 मई से 20 जून तक का समय मिथुन राशि का होता है, जो कि राशि-चक्र की तीसरी राशि होती है । इसका स्वामी ग्रह बुध होता है । मिथुन राशि और बुध ग्रह का अंक 5 होता है । बुध ग्रह की दूसरी समयावधि 21 अगस्त से 20 सितंबर तक होती है लेकिन इस समयावधि की राशि कन्या है जो की राशि-चक्र कि छठी राशि है । इसका अंक भी 5 ही है ।
चंद्रमा के दो अंक होते हैं 2 और 7
21 जून से 20 जुलाई तक कि समयावधि, कर्क राशि की होती है, जो की राशि चक्र कि चौथी राशि है । इसका स्वामी ग्रह है चंद्रमा । चंद्रमा के दो अंक माने जाते हैं । वे दोनों अंक हैं 2 और 7 । ऊपर दी हुई समयावधि मे चंद्रमा का सकारात्मक प्रभाव होता है ।
सूर्य के दो अंक होते हैं 1 और 5
21 जुलाई से 20 अगस्त तक का समय, राशि-चक्र कि पाँचवीं राशि सिंह का होता है । इसका स्वामी ग्रह सूर्य होता है, जिसका उक्त तिथि मे सकारात्मक प्रभाव होता है । सूर्य के दो अंक माने गए हैं । वे दोनों अंक हैं 1 और 5 ।
ब्रहस्पति ग्रह का अंक है 3
21 नवंबर से 20 दिसम्बर तक अंक 3 का प्रथम कार्यकाल होता है । इसकी राशि धनु राशि होती है जो कि राशि-चक्र की नौवीं राशि होती है । इसका स्वामी ग्रह ब्रहस्पति होता है जो कि इस समयावधि (21 नवंबर से 20 दिसम्बर तक) मे अपना सकारात्मक प्रभाव रखता है ।
अंक 3 का दूसरा कार्यकाल 19 फरवरी से 20 मार्च तक होता है । इसकी राशि होती है मीन, जो कि राशि-चक्र कि बारहवीं राशि होती है । दूसरे कार्यकाल यानी 19 फरवरी से 20 मार्च तक ब्रहस्पति ग्रह का नकारात्मक प्रभाव होता है । तो इस प्रकार से धनु राशि और मीन राशि के साथ-साथ ब्रहस्पति ग्रह का अंक भी 3 होता है ।
शनि ग्रह का अंक होता है 8
अंक 8 का प्रथम कार्यकाल 21 दिसम्बर से 20 जनवरी तक होता है । इस समयावधि की राशि मकर होती है । इसका स्वामी ग्रह शनि होता है । प्रथम कार्यकाल की समयावधि मे शनि का प्रभाव सकारात्मक होता है । अंक 8 का दूसरा कार्यकाल 21 जनवरी से 21 फरवरी तक माना जाता है और इस समयावधि कि राशि कुम्भ होती है जो कि राशि-चक्र कि ग्यारहवीं राशि होती है ।
अंक 8 के दूसरे कार्यकाल यानी 21 जनवरी से 21 फरवरी तक, इसके स्वामी ग्रह शनि का नकारात्मक प्रभाव रहता है । तो इस प्रकार से मकर और कुम्भ राशि के साथ-साथ शनि ग्रह का भी अंक 8 होता है ।
नामांक कैसे निकालें
किसी भी व्यक्ति का नामांक निकालने की जो गुप्त विधि प्राचीन काल से चली आ रही है, अब हम उसका वर्णन आपके सामने करेंगे । यद्यपि इस विद्या कि खोज प्राचीन हिन्दू सभ्यता ने की थी किन्तु काल के क्रूर थपेड़ों मे ये विद्या नष्टप्राय हो गयी ।
समय के प्रवाह के साथ जब पश्चिमी जगत के विद्वानों का भारतवर्ष मे आगमन हुआ तो इन अभूतपूर्व विद्याओं से उनका सामना हुआ । इस कलियुगी काल मे जब भारतवर्ष विदेशी आक्रमणकारियों के झंझावातों से जूझ रहा था, उस समय इन पश्चिमी जगत के विद्वानों ने भारतवर्ष से ग्रहण की हुई इन विद्याओं को अपनी भाषा एवं व्याकरण के अनुसार विकसित किया ।
दुर्भाग्य से आज हमे ये विद्याएं उसी रूप मे प्राप्त होती हैं जिस रूप मे ये पश्चिमी जगत मे विकसित हुईं । अंकशास्त्र (Numerology) या अंकविद्या उन्ही विद्याओं मे से एक है । आज हम आपको, नामांक कैसे निकलते हैं इसका वर्णन करेंगे । इस रहस्य को जानने के लिए सर्वप्रथम आप एक तालिका (Table) को देखिए जो नीचे दी हुई है ।
यहाँ इस टेबल मे अंग्रेजी वर्णमाला के प्रत्येक अक्षर के आगे उसकी क्षमता (Capacity), अंकों मे दी हुई है । यहाँ अगर इस टेबल को आप ध्यान से देखेंगे तो आप पाएंगे की, वर्णमाला के किसी भी अक्षर को 9 का अंक नहीं दिया गया है ।
इसका कारण संभवतः यह हो सकता है कि प्राचीन हिन्दू लोग 9 अंक को सर्वोपरि मानते थे और इसे पराशक्ति का अंक समझते थे । शायद इसीलिए उन्होंने 9 के अंक को, वर्णमाला के किसी भी अक्षर के लिए निरूपित नहीं किया । लेकिन फिर भी इस पद्धति से अगर हम किसी का नामांक निकालें तो हो सकता है कि उसका नामांक 9 आए ।
Words | Number | Words | Number | Words | Number |
A | 1 | J | 1 | S | 3 |
B | 2 | K | 2 | T | 4 |
C | 3 | L | 3 | U | 6 |
D | 4 | M | 4 | V | 6 |
E | 5 | N | 5 | W | 6 |
F | 8 | O | 7 | X | 5 |
G | 3 | P | 8 | Y | 1 |
H | 5 | Q | 1 | Z | 7 |
I | 1 | R | 2 |
ऐसी स्थिति मे उसके नामांक का फल तदनुसार होगा । अब यहाँ पर एक महत्वपूर्ण प्रश्न ये उठता है कि क्या किसी का नामांक निकालने के लिए उसके मूलनाम और उपनाम दोनों के सभी अक्षरों को जोड़ना होगा ?
तो इसका जवाब यह है कि यदि मूलनाम और उपनाम दोनों मे से कोई एक नाम अधिक प्रचलित है तो केवल उस प्रचलित नाम के अक्षरों के अंकों को जोड़ना होगा अन्यथा मूलनाम और उपनाम, दोनों के प्रत्येक अक्षरों के अंकों को जोड़ना होगा, नामांक निकालने के लिए ।
उदाहरण के लिए चलिए हम लेते हैं हमारे देश के प्रधानमंत्री का नाम, जिनका नाम है ‘नरेंद्र मोदी’। हम सब जानते हैं कि वर्तमान मे भारत के प्रधान मंत्री, इसी नाम से जगत मे प्रसिद्ध हैं इसलिए हम उनके इसी नाम के अनुसार उनका नामांक निकालेंगे । नरेंद्र मोदी को इंग्लिश मे इस प्रकार से लिख सकते हैं । ‘NARENDRA MODI’ नीचे दी गयी टेबल मे उनके नमाक्षरों कि क्षमता के अनुसार अंक निरूपित किए गए हैं ।
N | A | R | E | N | D | R | A | M | O | D | I | |
5 | 1 | 2 | 5 | 5 | 4 | 2 | 1 | 4 | 7 | 4 | 1 | |
योग =25 => 2+5 =7 | योग =16=>1+6=7 |
हम यहाँ देख सकते हैं कि इनके मूल नाम का नामांक भी 7 आ रहा है और उपनाम का नामांक भी 7 आ रहा है । 7 का अंक प्रबल आकर्षण और चुंबकीय असर रखता है । इस अंक का ऐसा असर होने कि वजह से अगर इसका प्रयोग, विशेष रूप से ‘महत्वपूर्ण’ और ऐतिहासिक घटनाओं मे किया जाए तो यह अत्यंत विषम परिस्थितियों को भी अनुकूल बनाने की क्षमता रखता है ।
मूल नाम और उपनाम दोनों के नामांक 7 होने कि वजह से यह सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है कि आगे भविष्य मे भी उन्हे विषम परिस्थितियों का सामना करना पड़ सकता हैं और वे उन विषम परिस्थितियों को भी, अपने चुंबकीय व्यक्तित्व से, अनुकूल सिद्ध करने मे सक्षम होंगे ।
राजनीति के पेशे मे ऐसे व्यक्ति काफी सफल सिद्ध होते हैं और अक्सर वो कर गुजरते हैं जिसके बारे मे साधारण लोग अनुमान भी नहीं लगा पाते । अगर हम इनके मूल नाम और उपनाम के नामांकों को जोड़ दें तो जो संख्या हमे प्राप्त होती हैं वो है 14 जो कि एक भाग्यशाली अंक है ।
ये बताता है कि नरेंद्र मोदी जी को जीवन मे, महत्वपूर्ण मौकों पर भाग्य का साथ भी मिलेगा । अलग-अलग नामांकों कि व्याख्या, उनके मूलांको के अनुसार की जा सकती है । जिसके बारे मे अधिक जानकारी आप यहाँ क्लिक करके पा सकते हैं ।